बताओ अब मैं क्या लिखूँ ??
अच्छा सुनो...
अब तुम मिलती ही नहीं हो, इसलिए अब वो जज्बात नहीं उभरते, तो बताओ अब मैं क्या लिखूँ ??
तुम ही वजह थी, तुम ही थी वो, जिसे मैं शब्दों में पिरोता था, अब तुम मिलती ही नहीं हो, तो बताओ अब मैं क्या लिखूँ ??
कभी मैं तुम्हारी मुलाकात लिखता था, कभी जुदाई में रोना लिखता था, अब तुम मिलने नहीं आती तो हर दिन जुदाई और हर पल बस रोना है, बताओ मैं क्या लिखूँ ??
तुम ही थी वजह मेरी हर एक मुस्कान की, और चेहरे की खुशी की, जमाना हो गया हँसे हूए, और खुश रहने की वजह ही नहीं रही मेरे पास, बताओ अब मैं क्या लिखूं ??
😊😊
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