वो प्रेम का आरंभिक दौर ।।
सुनो, सुनो ना... क्या तुम्हें अब भी याद है ?? वो प्रेम का आरंभिक दौर, घंटों बाते करना, हम दोनों का एक #Call एक #Text की प्रतीक्षा में सारा ध्यान फ़ोन में लगे रहना, स्मृतियो में रहना मुस्करा देना जागते हुए कल्पनायें बुनना साथ हँसना खिलखिलाना कभी साथ साथ रो देना, फिर धीरे धीरे बाते कम होती गयी ।। फिर इक वक्त के बाद मात्र एक औपचारिकता ही रह गई थी, हमारे रिश्ते के बीच, हमारे प्रेम के बीच ।। मानता हूँ समय के साथ लगाव कम हो जाता है पर प्रेम तो प्रगाण होता है ना पुराना होने के साथ ? सुनो, पुनः सब पुनः से शुरू कर सकते है क्या ? अब भले ही बाते कम करो पर अथाह प्रेम हो वही प्रथम बार की तरह ।। इक दूसरे का साथ कभी उबाऊ ना लगे, जैसे प्रेम अनंत है साथ भी हो हमारा उम्र के अंतिम पड़ाव की तरह ।। कभी भी रिश्तों में विराम चाहिए हो तो हम इक दूसरे की गलती ना बताते फिरे ।। प्रेम का प्रभाव वैसा ही रहे बिल्कुल... नवीन, अद्भुत, अप्रतिम, असाधारण, अथाह, अनंत ।। #ख़ैर 🙏🏻