मुन्नवर राना की शायरी :- माँ की ममता पर कुछ अनमोल शेर
मुन्नवर राना साहब की सबसे मशहूर पहचान उनकी “माँ” पर लिखी शायरी है। यहाँ उनके कुछ चुनिंदा बेहतरीन शेर सिर्फ़ माँ पर: 1. “माँ ऐसी होती है कि भूखी रहकर भी, बच्चों को खिलाकर सो जाती है।” 2. “माँ की मोहब्बत से बढ़कर दुनिया में, कोई दौलत नहीं, कोई जन्नत नहीं।” 3. “घर के दरवाज़े को ताले लगाना कैसा, माँ अभी जाग रही है मुझे आने तक।” 4. “माँ बाप के आँचल को कभी मैला न करना, जन्नत यही है और कहीं ढूँढनी नहीं है।” 5. “माँ तेरी मोहब्बत में फ़र्क़ नहीं आता, नमाज़ छोड़ दूँ तो भी तू दुआ देती है।” 6. “बचपन में मेरे ग़म को मिटाने वाली, आज भी मेरी माँ ही है मुस्कुराने वाली।” 7. “माँ की दुआएँ यूँ ही साथ रहती हैं, घर से दूर जाऊँ तो परछाईं बन जाती हैं।” 8. “माँ के होने से घर स्वर्ग बन जाता है, वरना दीवारें ही तो दीवारें होती हैं।” 9. “माँ की ममता कभी बूढ़ी नहीं होती, उसकी गोदी में आज भी सुकून मिलता है।” 10. “माँ को दुआएँ जब भी याद आती हैं, दिल से बोझ और ग़म उतर जाते हैं।”