मुन्नवर राना की शायरी
1.
“उसके दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा,
वो शख़्स अकेला ही भला लगता है।”
2.
“मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आँसू,
लंबे अरसे से वो तक़िया भी भिगोता होगा।”
3.
“माँ के होते हुए सोचता हूँ ये अक्सर,
फिर भी क्यों माँगने जाता है फ़क़ीरों जैसा।”
4.
“ये सोचकर ही कर ली तेरे ग़म ने मेरी मदद,
वरना मुझे रुलाने का इरादा तेरा न था।”
5.
“घर के दरवाज़े को ताले लगाना कैसा,
माँ अभी जाग रही है मुझे आने तक।”
6.
“तेरी चौखट से चला था तो मैंने ये जाना,
मेरे घर लौटने का रास्ता भी तू ही है।”
7.
“माँ के क़दमों को चूम लूँ तो सुकून मिलता है,
वरना सजदे में सर झुकाना तो आसान है।”
8.
“माँ बाप के आँचल को कभी मैला न करना,
जन्नत यही है और कहीं ढूँढनी नहीं है।”
9.
“ये हवाएँ हमें डराती क्यों हैं,
तू नहीं है तो तन्हाई क्यों है।”
10.
“माँ की आँखों में मोहब्बत का जो समंदर है,
वो कभी कम नहीं होता, चाहे जितना रो लो।”
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