नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम पोएट्री जॉन एलिया साहब ।।
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम,
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम ।
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम ।
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम ।
हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम,
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम ।
किया था अह्द जब लम्हों में हम ने,
तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम ।
उठा कर क्यों न फेंकें सारी चीज़ें,
फ़क़त कमरों में टहला क्यों करें हम ।
नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी,
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम ।।
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